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Wednesday, January 21, 2015

सार्वजनिक पुस्तकालयों का सन्नाटा

हरिवंश चतुर्वेदी, निदेशक, बिमटेक


             मकर संक्रांति पर सूर्यदेव जैसे ही मकर राशि में प्रवेश करते हैं, ठंड में ठिठुरता देश वसंत ऋतु के स्वागत में जुट जाता है। वसंत पंचमी पर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा के साथ पूरे देश में साहित्य, कला, संगीत, नाटक से जुड़े समारोह व कार्यक्रम पूरे वैभव और उल्लास से साथ शुरू हो जाते हैं। आज से ही जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल शुरू हो रहा है, जिसमें देश-दुनिया के कई बड़े रचनाकार और बुद्धिजीवी जुटेंगे। पिछले कुछ वर्षों में देश के कई बड़े साहित्यिक समारोहों में लेखकों, पाठकों और सामान्य दर्शकों की बढ़ती भीड़ कभी- कभी अचंभित करती है। मराठी, कन्नड़ और बांग्लाभाषी साहित्य प्रेमियों में अपने भाषायी साहित्य एवं इसके सम्मेलनों के प्रति सदैव से उत्साह रहा है। तमिल, तेलुगू और मलयालम में भी बड़े-बड़े लेखक आम जनता से जुड़े रहते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक परिणाम जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में देखने को मिले हैं। 
            इसकी शुरुआत वर्ष 2006 में हुई थी। पिछले दिनों छत्तीसगढ़ सरकार ने भी रायपुर साहित्य समारोह का आयोजन किया था, जिसमें स्थानीय साहित्य प्रेमी बड़ी संख्या में अपने प्रिय लेखकों और कवियों को सुनने आए थे। साहित्यिक सम्मेलनों में उमड़ रही भीड़ से कभी-कभी भ्रम होता है कि क्या यह भारतीय मध्यवर्ग में साहित्य एवं संस्कृति के प्रति बढ़ते अनुराग की ओर इशारा कर रही है या यह एक फैशन की तरह कुछ समय के लिए उन्हें रचनात्मक साहित्य व पुस्तकों की ओर लुभा रही है?  साहित्य के जरिये क्रांतिकारी सामाजिक परिवर्तनों के सपने देखने वाले जनवादी लेखकों को इसमें साहित्य के कॉरपोरेटीकरण की बू आ सकती है, क्योंकि इन साहित्यिक समारोहों की ज्यादातर वित्त व्यवस्था कॉरपोरेट जगत की स्पॉन्सरशिप से हो रही है। साहित्यिक समारोहों के साथ-साथ फरवरी-मार्च में देश के कई शहरों में पुस्तक मेलों का भी आयोजन किया जाता है। दिल्ली और कोलकाता के पुस्तक मेलों में तो पिछले एक दशक से भारी भीड़ देखी जा रही है। देश के अन्य स्थानों पर आयोजित पुस्तक मेले भी अब बुद्धिजीवियों व लेखकों तक सीमित नहीं हैं। 
              तो क्या यह मान लिया जाए कि यह भारतीय मध्यवर्ग में पुस्तकों के प्रति बढ़ती रुचि का परिचायक है?  क्या अंग्रेजी में जितनी किताबें खरीदी जा रही हैं, उतनी हिंदी, बांग्ला तथा अन्य भारतीय भाषाओं में भी खरीदी जा रही हैं?  क्या पुस्तक मेलों व साहित्यिक समारोहों में मध्य वर्ग की बढ़ती सहभागिता टीवी तथा फिल्मों से उनके अलगाव की ओर इशारा कर रही है?  इंटरनेट पर हर किस्म की सूचना, ज्ञान और सामग्री उपलब्ध है, परंतु किताबें अब भी भारतीयों के कल्पना जगत से गायब नहीं हुई हैं। इंटरनेट व सूचना प्रौद्योगिकी के विकास से हमें पश्चिमी सभ्यता, संस्कृति व साहित्य के साथ एक गहरा रिश्ता बनाने में मदद मिली है। लेकिन क्या हम फिर से भारतीय साहित्य, कला, संस्कृति और अध्यात्म के साथ अपने कमजोर होते रिश्तों को मजबूत करना चाहते हैं? साहित्यिक समारोहों और पुस्तक मेलों में पाठकों की बढ़ रही रुचि अब राष्ट्रीय रूप ले चुकी है। 
              देश भर में लगभग 60 साहित्यिक समारोह हर साल आयोजित किए जाने लगे हैं, जिनके आयोजन पर 65 लाख से लेकर 10 करोड़ रुपये तक खर्च होते हैं। जयपुर लिटरेटचर फेस्टिवल में इस बार ढाई लाख लोगों के भाग लेने की संभावना है। इसके प्रमुख वक्ताओं में इस बार नोबल विजेता वी एस नायपॉल, पुलित्जर विजेता कवि विजय शेषाद्रि, मैन बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका एलिनोर केटोन, हनीफ कुरेशी, अमित चौधरी, पॉल थेरो, फरुख ढोंडी आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। पिछले साल इस समारोह में दस हजार किताबें बिकी थीं, जो उत्तर भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं। 
फ्रैंकफर्ट, जर्मनी का पुस्तक मेला दुनिया में सबसे प्रसिद्ध माना जाता है, जिसमें तीन लाख दर्शक हर बार आते हैं। 12 दिनों तक चलने वाले कोलकाता पुस्तक मेले में पिछली बार 18 लाख दर्शक आए थे, जो दुनिया के लिए एक रिकॉर्ड था। इस बार यह पुस्तक मेला 28  जनवरी से आठ फरवरी, 2015 तक चलेगा। जर्मन लेखक गुंटर ग्रास ने कोलकाता पुस्तक मेले के बारे में लिखा है कि यह पुस्तक मेला जिंदगी की तरह एक सुंदर रचना है, जो हर साल खत्म होती है, किंतु किताबें सदैव बनी रहती हैं। देश के साहित्यिक समारोहों और पुस्तक मेलों में भारतीय दर्शकों की भारी भीड़ की तुलना अगर हमारे सार्वजनिक पुस्तकालयों में आने वाले पाठकों की संख्या से करें, तो बहुत निराशा होगी। 
               यूं तो देश के सभी जिलों में से अमूमन जिला स्तरीय पब्लिक लाइब्रेरी मिल जाएगी, किंतु वहां आपको पाठक कम और सन्नाटा ज्यादा दिखाई देगा। भारत को एक ज्ञानोन्मुख समाज बनाने और भारतीय गणतंत्र को और अधिक जनोन्मुख बनाने के लिए पब्लिक लाइब्रेरी से बेहतर कोई विकल्प नहीं हो सकता। देश को आजादी दिलाने और उसे एक आधुनिक राष्ट्र बनाने में इन पब्लिक लाइब्रेरियों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। किंतु आज ज्यादातर राज्यों में ये सार्वजनिक पुस्तकालय बीते हुए युग की निशानी बनकर रह गए हैं। जजर्र भवन, टूटे फर्नीचर, फटी-पुरानी किताबें व अप्रशिक्षित लाइब्रेरी स्टाफ एक ऐसा माहौल बनाते हैं कि कोई युवा पाठक वहां जाना नहीं चाहेगा। वैसे तो हर राज्य में पब्लिक लाइब्रेरी के रख-रखाव के लिए कानून बने हैं, किंतु राज्य सरकारों द्वारा इनको पर्याप्त वित्तीय सहायता नहीं दी जा रही। क्या इनको हर जनपद की बौद्धिक गतिविधियों का केंद्र नहीं बनाया जा सकता? 
              सूचना प्रौद्योगिकी का व्यापक प्रयोग करते हुए इन पुस्तकालयों को बेरोजगार युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और रोजगारपरक स्किल सीखने का एक स्रोत आसानी से बनाया जा सकता है। वैसे ‘राष्ट्रीय लाइब्रेरी मिशन’ के तहत देश के 35 पिछड़े जिलों में मॉडल पुस्तकालय बनाए जा रहे हैं। देश के 629 जिला पुस्तकालयों को इंटरनेट से जोड़ा जा रहा है। उत्तर प्रदेश के उन्नाव, बाराबंकी, लखीमपुर खीरी, रायबरेली तथा बलिया जनपदों में सार्वजनिक पुस्तकालयों के जीर्णोद्धार व आधुनिकीकरण का काम चल रहा है। और इस अभियान को स्वयंसेवी संस्था प्रथम, नैसकॉम फाउंडेशन, राजीव गांधी फाउंडेशन तथा बिल व मिलिंडा गेट फाउंडेशन से व्यापक सहायता मिल रही है। 
             मानव संसाधन मंत्रालय व नवगठित नीति-आयोग से उम्मीद की जाती है कि वे राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन को पर्याप्त वित्तीय साधन एवं स्वायत्तता देकर देश भर के र्सावजनिक पुस्तकालयों को बौद्धिक ऊर्जा का केंद्र बनाने में मदद करें। कॉरपोरेट क्षेत्र पुस्तक जगत के लिए एक बड़ी पहलकदमी लेकर आया है। इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति के बेटे रोहन मूर्ति ने 300 करोड़ लगाकर पुस्तक प्रकाशन की एक योजना हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी के साथ शुरू की है। मूर्ति क्लासिकल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया के अंतर्गत संस्कृत, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ तथा अन्य भारतीय भाषाओं की अनुपलब्ध प्रसिद्ध पुस्तकों को अंग्रेजी अनुवाद के साथ प्रकाशित किया जाएगा। क्या कॉरपोरेट सेक्टर की अन्य बड़ी कंपनियां भी पुस्तक प्रकाशन, वितरण व लाइब्रेरी स्थापना में अपना योगदान देंगी?  (ये लेखक के अपने विचार हैं) - 

Wednesday, January 14, 2015

Invitation to attend National Conference on Emerging Trends & Techniques for Electronic Resource Management in Libraries: Issues & Challenges on February 13-14, 2015 at Rourkela


Call for Papers - Final : Submission date extended to January 19, 2015

Subject: Invitation to attend National Conference on Emerging Trends & Techniques for Electronic Resource Management in Libraries:
Issues & Challenges on February 13-14, 2015 at Rourkela

Greetings from National Institute of Technology (NIT) Rourkela,

Dear Sir
​/Madam/Friends,​

It gives us immense pleasure to inform you that Biju Patnaik Central Library (BPCL) of National Institute of Technology Rourkela is organizing the “National Conference on Emerging Trends & Techniques for Electronic Resource Management in Libraries: Issues & Challenges” on February 13-14, 2015 in association with SLA-Asia and SLP.

This conference is the second event under the series “Empowering Library Professionals to Empower Society (ELPES)”. The main objectives of this conference are:
  • Awareness and importance of electronic resources;
  • Familiarization with the different ways of accessing electronic content;
  • Acquaint with the review activities associated with e-resources;
  • Examine copyright and licensing implications for scholarly communication;
  • An opportunity to develop ideas, strategies and policies for e-resource management (ERM);
  • Equip participants with skills for collection development and management of e-resources both theoretical and practical;
  • To discuss the issues and challenges faced during ERM cycle;
  • To adopt best practices for enhancing usage of e-resources.
We request you and your colleagues to participate and contribute a paper for this conference. And also help us to spread this message among library & information science professionals, information scientists, knowledge managers, students & scholars. Kindly register at the earliest to avail campus accommodation as we have limited number of rooms available.

For Call for papers and other details please visit: http://library.nitrkl.ac.in/events/elpes2/ and http://library-nitrkl.blogspot.in/


Important Dates:

Extended date of submission of paper
Last date of submission of paper
January 19, 2015
January 09, 2015
Last date of accepted Notification
January 25, 2015
Conference Date
February 13-14, 

Looking forward to meet you at NIT Rourkela.

Encl: Invitation and Poster


With Best regards,

Yours sincerely,
Dr.Bhojaraju Gunjal
Organizing Secretary, ELPES-2
Connect with BPCL:  Facebook | Twitter | Google+ Blog |

Tuesday, January 13, 2015

Invitation: Book Fair at Visva Bharati Library, Santiniketan from January 21 to 24, 2015

Dear All

Visva Bharati Library Network, Santiniketan is organizing a book fair at its Central Library premises from January 21 to 24, 2015 (10.00 am to 8.00 pm). All institutes and book lovers are cordially invited.

More than 20 leading publishers and suppliers are participating in the book fair.

--
Thanks and regards.

अजय कुमार शर्मा

Ajay Kumar Sharma
Assistant Librarian & In-charge,
Cheena Bhavana Library & Additional charge, Hindi Bhavana Library
Visva Bharati, Santiniketan - 731235, Bolpur, Birbhum, West Bengal

ICSSR-NASSDOC Sponsored 3 days national Workshop on Web Discovery Tools and Services on 16-18 March 2015


Dear all, It's my pleasure to inform you that, in collaboration with Indian Council of Social Science Research, Ministry of Human Resource Development, Government of India, New Delhi, BIT-Mesra is conducting 3 days national workshop on Web Discovery Tools and Services? on 16-18 March 2015. This workshop will create awareness among the participants on availability of various Web Discovery Tools and its services. The program will also focus to develop competitive skills and techniques for social scientist/ scholars/librarians on Web Discovery Tools and Services. There will be no registration fee for participants, Outstation participants will get free accommodation, no TA/DA will be provided by us, participants has to make their own arrangements.?The workshop is limited to 30 participants, so we will accept the application on first cum first basis, along with the professional background. The last date to receive the filled registration form is 20th February 2015. Hereby I  am enclosing workshop registration form for your needful. If you need any more information kindly contact the Workshop Director, (:0651-2276675 librarian@bitmesra.ac.in


Thanking you
Vijayakumar M.
MSc., MCA., Ph.D., UGC-NET.
Central Library Birla Institute of Technology, A Technical University
Mesra, Ranchi- 835215, India
Tel:0651-2276675 
Fax:0651-2275401
http://www.bitmesra.ac.in/

One day National Seminar on "Promoting the Use of Libraries in the Internet era" on 10 February 2014 at Punjabi University, Patiala


One Day National Seminar on "Promoting the Use of Libraries in the Internet era"  is being organized by the Department of Library and Information Science, Punjabi University, Patiala on 10 February 2014.

Registration fees:  Rs. 500/-  (payable in cash on the spot) includes lunch, session tea and Certificate.

Director of the Seminar: Dr. Jagtar Singh, Professor & Head, Department of Library & Information Science, Punjabi University, Patiala. Tel: 0175-3046179

Sub-themes:

  1.         Internet and its use in different types of libraries and library services
  2.         Users and use of libraries in the Internet era
  3.         Information literacy and its role in promoting use of libraries
  4.         Information seeking behaviour
  5.         Virtual Reference Service a tool
  6.         Role of library and information professionals (LIPs) in the changing scenario
  7.         Competencies and skills for LIPs
  8.         Library building and new technology

Call for papers: The above sub-themes are just indicative and contributions are invited on any topic related with the theme. Kindly avoid generic presentations and submit research papers, articles, case studies, best practices, review papers, and project reports and . The closing date for contributing a paper is 31 January 2015. Kindly send your brief CV along with your paper and a PPT also at the following email address:
jagtardeep@gmail.com

Plagiarism Alert: Contributors are advised to abide by strict academic ethics with respect to acknowledgment of original ideas from others.

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DSSSB Librarian - Final Answer Keys Uploaded on 12 January 2015