गोड्डा, निप्र : झारखंड गठन के ग्यारह साल बाद भी जिले के पुस्तकालयों की स्थिति बद से बदतर हो गयी है। अगर समय रहते इसकी सुधि नहीं ली गयी तो वह दिन दूर नहीं जब पुस्तकालय अतीत में तब्दील हो जायेंगे।
क्या कहते है बुद्धिजीवी
प्रख्यात समालोचक डॉ. श्यामाचरण घोष ने स्थानीय केन्द्रीय पुस्तकालय की दुर्दशा पर कहा कि इस पुस्तकालय के स्थापना काल से लेकर पंजीकृत कराने व सजाने संवारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। प्रमुख केन्द्र होने के बावजूद जन प्रतिनिधियों व प्रशासनिक पदाधिकारियों के नकारात्मक रवैया के कारण यह व्यवस्था विहीन हो गई। पुस्तकाध्यक्ष को वेतन नहीं मिलने के कारण हाल में ही काल कवलित हो गये हैं। वहीं कोरका गांव के दीपनारायण साह बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसी प्रकार का आवंटन प्राप्त नहीं होने की स्थिति में भवन के साथ अच्छी पुस्तकें भी गायब हो रही हैं। महेशपुर के रवीन्द्र कुमार झा का कहना है कि राज्य गठन के बाद लोगों को उम्मीदें जगी थीं। कुछ चमत्कार नहीं होने के कारण उनकी अरमानों पर पानी फिर गया। प्रशासनिक उदासीनता के कारण पुस्तकालय अतिक्रमण का शिकार हो गया है। अगर समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो वह समय दूर नहीं जब पुस्तकालयों का अस्तित्व खत्म हो जायेगा।
जिले के मान्यता प्राप्त पुस्तकालय
संतालपरगना प्रमंडल के सभी छह जिले में मान्यता प्राप्त पुस्तकालय या तो विलुप्त हो चुके हैं या फिर अस्मिता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आजादी के बाद तत्कालीन संतालपरगना जिले के 67 पुस्तकालयों को बिहार राज्य पुस्तकालय संघ से संबद्ध पुस्तकालय में तत्कालीन गोड्डा अनुमंडल में सबसे अधिक 35 पुस्तकालयों को मान्यता प्राप्त थी। इन पुस्तकालयों को संताल परगना जिला पुस्तकालय संघ के तत्कालीन विभागीय मंत्री सागर प्रसाद राय व सभापति गोपाल लाल वार्मा की कार्यकुशलता से सरकारी राशि भी आवंटित की जाती थी। झारखंड राज्य अलग होने के बाद कई पुस्तकालय की किताब, मकान व फर्नीचर रखरखाव के अभाव में नष्ट हो चुके हैं।
मान्यता प्राप्त पुस्तकालय
प्राप्त अभिलेखों के आधार पर सरस्वती पुस्तकालय, गांधी स्मारक,आर्य, रामरेख, शक्ति , वन पुस्तकालय, सार्वजनिक पुस्तकालय, नवयुग, राजेन्द, आजाद हिन्द, बालेश्वर स्मारक, श्रीकृष्ण, दुर्गा पुस्तकालय, आदर्श, जवाहर , आदर्श महुआडीह, रामेश्वर , सेवाश्रम, शंकर, सेवाश्रम कसबा, इस्लामियां दिग्घी, सिंहेश्वर सार्वजनिक , श्रीअखिलेवरी , जनहितैषी, सार्वजनकि पुस्तकालय डांड़ै, सेवाश्रम पुस्तकालय के नाम पर दर्ज है। बहरहाल इन तमाम पुस्तकालयों का समय रहते जीर्णोद्धार नहीं हुआ तो सभी इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जायेंगे।
क्या कहते हैं पदाधिकारी
जिला शिक्षा पदाधिकारी एजाज अहमद का कहना है कि जिले के पुस्तकालयों के संरक्षण की दिशा में अभी सरकार द्वारा कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं है। यदि कोई आदेश मिलता है तो भविष्य में इन्हे व्यवस्थित किया जा सकता है।
Source: Dainik Jagran
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