हरिद्वार। प्रदेश के युवाओं को लाइब्रेरी साइंस में शोध करने के लिए भटकना पड़ रहा है। उत्तराखंड में छह विश्वविद्यालय होने के बावजूद किसी में भी शोध (पीएचडी) की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जिससे बी.लिब और एम लिब. करके आगे बढ़ने वाले युवाओं के कदम ठहर गए हैं।
पुस्तकों, ग्रंथो, पांडुलिपियों और अभिलेखों के रखरखाव के लिए पुस्तकालय विज्ञान बहुत अहमियत रखता है। इसके लिए बाकायदा कई विश्वविद्यालयों की ओर से डिग्री कोर्स चलाए जाते हैं। स्नातक स्तर पर बी. लिब और इसके बाद पीजी लेवल पर एम. लिब की डिग्री दी जाती है। इसके बाद इस विषय में शोध करने वाले छात्रों के लिए प्रदेश में कोई सुविधा नहीं। हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर, कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल, गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार, देव संस्कृति विवि हरिद्वार, मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी और टेकिभनकल युनिवर्सिटी देहरादून आदि छह विश्वविद्यालय हैं। इनमें से कई में बी. लिब और कुछ में एम. लिब कराई जा रही है। लेकिन ये कोर्स कराने वाले विश्वविद्यालय इससे आगे नहीं बढ़ सके।
छात्र पुस्तकालय विज्ञान में कैरियर बनाने के लिए बी. लिब और फिर मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए एम. लिब का कोर्स कर लेते हैं, लेकिन इसके लिए प्रदेश में सुविधा नहीं होने की वजह से पीएचडी के लिए संकट खड़ा हो जाता है। लाइब्रेरी साइंस में शोध शुरू कराने के लिए विश्वविद्यालयों के कुलपतियाें से मांग की जा रही है।
-नवीन पंत उपाध्यक्ष एबीवीपी एवं पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय।
अभी हमारे विश्वविद्यालय में बी. लिब का कोर्स कराया जा रहा है। आगामी वर्षो में एम लिब शुरू कराने के लिए जोर शोर से कोशिश जारी है। उसके बाद प्रदेश के छात्रों को पुस्तकालय विज्ञान में पीएचडी के लिए उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में सुविधा दिए जाने का पूरा प्रयास रहेगा।
- सुधारानी पांडे, कुलपति उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार।
पुस्तकों, ग्रंथो, पांडुलिपियों और अभिलेखों के रखरखाव के लिए पुस्तकालय विज्ञान बहुत अहमियत रखता है। इसके लिए बाकायदा कई विश्वविद्यालयों की ओर से डिग्री कोर्स चलाए जाते हैं। स्नातक स्तर पर बी. लिब और इसके बाद पीजी लेवल पर एम. लिब की डिग्री दी जाती है। इसके बाद इस विषय में शोध करने वाले छात्रों के लिए प्रदेश में कोई सुविधा नहीं। हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर, कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल, गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार, देव संस्कृति विवि हरिद्वार, मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी और टेकिभनकल युनिवर्सिटी देहरादून आदि छह विश्वविद्यालय हैं। इनमें से कई में बी. लिब और कुछ में एम. लिब कराई जा रही है। लेकिन ये कोर्स कराने वाले विश्वविद्यालय इससे आगे नहीं बढ़ सके।
छात्र पुस्तकालय विज्ञान में कैरियर बनाने के लिए बी. लिब और फिर मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए एम. लिब का कोर्स कर लेते हैं, लेकिन इसके लिए प्रदेश में सुविधा नहीं होने की वजह से पीएचडी के लिए संकट खड़ा हो जाता है। लाइब्रेरी साइंस में शोध शुरू कराने के लिए विश्वविद्यालयों के कुलपतियाें से मांग की जा रही है।
-नवीन पंत उपाध्यक्ष एबीवीपी एवं पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय।
अभी हमारे विश्वविद्यालय में बी. लिब का कोर्स कराया जा रहा है। आगामी वर्षो में एम लिब शुरू कराने के लिए जोर शोर से कोशिश जारी है। उसके बाद प्रदेश के छात्रों को पुस्तकालय विज्ञान में पीएचडी के लिए उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में सुविधा दिए जाने का पूरा प्रयास रहेगा।
- सुधारानी पांडे, कुलपति उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार।
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