यज्ञशाला का निर्माण होगा, 10 करोड़ की लागत का अनुमान, केंद्र के लिए डिटेल रिपोर्ट तैयार की जाएगी
प्रशान्त जोशी-!-बांसवाड़ा लोढ़ी काशी के नाम से पहचाने जाने वाले बांसवाड़ा शहर में वेद अध्ययन केंद्र ((सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन वैदिक स्टडीज)) की स्थापना को लेकर डिटेल रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
साथ ही बांसवाड़ा में वेद पुस्तकालय की स्थापना की जाएगी। उक्त जानकारी मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्व विद्यालय, उदयपुर के प्रो.डॉ. नीरज शर्मा ((हेड ऑफ डिपार्टमेंट संस्कृत व सदस्य राजस्थान रा'य संस्कृत सलाहकार बोर्ड)) ने भास्कर से बातचीत के दौरान दी। उन्होंने बताया कि इससे क्षेत्र के साथ पूरे देश के लोगों को इसका लाभ मिलेगा।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो. आई.वी त्रिवेदी के संरक्षण में करीब 10 करोड़ की लागत की परियोजना तैयार की जा रही है। उन्होंने बताया कि डिटेल रिपोर्ट तैयार होने के बाद आवश्यक कार्रवाई के तहत प्रस्ताव यूजीसी को भिजवाए जाएंगे।
15 बीघा जमीन के लिए जिला प्रशासन को पत्र भेजेंगे
इस संबंध में मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय, उदयपुर के वाइस चांसलर प्रो. आई.वी त्रिवेदी ने बताया कि बांसवाड़ा में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन वैदिक स्टडीज स्थापित करने के मद्देनजर 15 बीघा जमीन उपलब्ध करवाने के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखा जाएगा।
विद्वानों से लिया जाएगा मार्गदर्शन
प्रो. डॉ. नीरज शर्मा ने बताया कि परियोजना को सफल बनाने व उसके विस्तृत लाभ के लिए मूर्धन्य विद्वान मैसूर विश्व विद्यालय के प्रो. एम.ए. लक्ष्मी टाटाचार्य, संस्कृत विश्व विद्यालय जयपुर के वाइस चांसलर प्रो. रामानुज देवनाथन, प्रो.दयानंद भार्गव आदि का मार्ग दर्शन लिया जाएगा।
केंद्र की स्थापना से ये होंगे लाभ
:मंत्र व वेद विज्ञान के सैद्धांतिक व प्रायोगिक पक्षों पर अध्ययन व अनुसंधान की सुविधाएं।
:परंपरागत वेद शाखाओं के सस्वर पाठ को प्रोत्साहन।
:वेदों की बची हुई सभी 13 शाखाओं के संरक्षण के प्रयास।
:विश्व स्तरीय विस्तृत वैदिक पुस्तकालय की स्थापना।
:परंपरागत वेद शाखाओं के सस्वर पाठ को प्रोत्साहन।
:यज्ञ शाला का निर्माण।
15 बीघा जमीन के लिए जिला प्रशासन को पत्र भेजेंगे
इस संबंध में मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय, उदयपुर के वाइस चांसलर प्रो. आई.वी त्रिवेदी ने बताया कि बांसवाड़ा में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन वैदिक स्टडीज स्थापित करने के मद्देनजर 15 बीघा जमीन उपलब्ध करवाने के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखा जाएगा।
विद्वानों से लिया जाएगा मार्गदर्शन
प्रो. डॉ. नीरज शर्मा ने बताया कि परियोजना को सफल बनाने व उसके विस्तृत लाभ के लिए मूर्धन्य विद्वान मैसूर विश्व विद्यालय के प्रो. एम.ए. लक्ष्मी टाटाचार्य, संस्कृत विश्व विद्यालय जयपुर के वाइस चांसलर प्रो. रामानुज देवनाथन, प्रो.दयानंद भार्गव आदि का मार्ग दर्शन लिया जाएगा।
केंद्र की स्थापना से ये होंगे लाभ
:मंत्र व वेद विज्ञान के सैद्धांतिक व प्रायोगिक पक्षों पर अध्ययन व अनुसंधान की सुविधाएं।
:परंपरागत वेद शाखाओं के सस्वर पाठ को प्रोत्साहन।
:वेदों की बची हुई सभी 13 शाखाओं के संरक्षण के प्रयास।
:विश्व स्तरीय विस्तृत वैदिक पुस्तकालय की स्थापना।
:परंपरागत वेद शाखाओं के सस्वर पाठ को प्रोत्साहन।
:यज्ञ शाला का निर्माण।