चकाई, (जमुई) निज प्रतिनिधि : प्रखंड के 640 गांवों में 292 मध्य एवं प्राथमिक विद्यालय, छह उच्च विद्यालय, चार इंटर स्तरीय विद्यालय एवं एक डिग्री कालेज है जिसमें 49600 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। इन संस्थानों के 15000 विद्यार्थी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। बावूजद इसके प्रखंड में एक भी सरकारी या गैर सरकारी पुस्तकालय नहीं है जहां बच्चों को सभी तरह की पत्रिका या पुस्तकें उपलब्ध हों। ऐसे में गरीब बच्चे उच्च शिक्षा के प्रतियोगी माहौल में पिछड़ रहे हैं। प्रखंड में 80 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। इनके बच्चों के पास इतना पैसा नहीं है कि वे पत्रिका एवं विभिन्न अखबार खरीद कर पढ़ सकें। ऐसे में सार्वजनिक पुस्तकालय ही इनके उम्मीद की आखिरी किरण है। जहां एक साथ कई पुस्तकें पत्रिका समाचार उपलब्ध होता है। चकाई में एक भी पुस्तकालय के नहीं होने से गरीब ग्रामीणों के बच्चे प्रतियोगिता परीक्षा में असफल हो रहे हैं। आदिवासी छात्रावास में रह कर पढ़ाई कर रहे एन्पोनी बताते हैं कि पुस्तकालय नहीं रहने से हमलोग पिछड़ रहे हैं। वहीं परांची के परमेश्वर एवं नारायण दास कहते हैं कि पुस्तकालय प्रतियोगिता परीक्षार्थी की रीड़ होती है। हमारे अभिभावक मजदूरी करके पत्रिका के लिए पैसे नहीं दे सकते हैं ऐसे में हम रोजगार के अवसर खो रहे हैं। चकाई में पुस्तकालय की स्थापना को लेकर घोरमो निवासी प्रो. धर्मेन्द्र सिन्हा ने जमुई समाहरणालय के समक्ष आमरण अनशन किया। आमरण अनशन के दौरान तत्कालीन अनुमंडलाधिकारी ने एक माह के अंदर चकाई में पुस्तकालय खोलने का लिखित आश्वासन देकर अनशन तुड़वाया। आश्वासन के एक वर्ष बीत गए परंतु चकाई में पुस्तकालय नहीं खुला। अनुमंडलाधिकारी बदल गए परिणाम वही ढाक के तीन पात साबित हुआ।
http://www.jagran.com/bihar/jamui-9284893.html
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