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Wednesday, August 7, 2013

Nalanda University to get USD 6 million for library project

The Nalanda University (NU) will be getting six million dollars for the proposed mega library project. Singapore’s minister for foreign affairs, who visited Rajgir on Monday, said that three acclaimed academicians had agreed to donate the funds which would be required to shape a world class library.

Source: http://ibnlive.in.com/news/news-briefs-nalanda-university-to-get-usd-6-million-for-library-project/410735-3-232.html

Wednesday, January 9, 2013

Deputy Librarian and Sr. Library Assistant Vacancy at Chanakya National Law University, Patna, Bihar

  • Chanakya National Law University Patna, Bihar
  • Advertisement No.- 18/2012 
  • Applications are invited from eligible candidates for  Non-Teaching posts on purely contractual basis at the University on or before Friday, the 18th January, 2013. All the candidates are requested to appear for interview on Monday, the 21st January, 2013 at 9:30 AM in the Vice-Chancellor’s Chamber followed by demonstration lecture next day which may extend to next day if the number is more.
  • Interview for Dy. Librarian will take place on 24.1.2013 at 3.00 PM in theVice-Chancellor’s Chamber. Applicants must apply in the prescribed form available on the Website with DD for Rs. 300/- only in favour of Registrar, Chanakya National Law University, payable at Patna. For details visit the University Website: www.cnlu.ac.in.

Senior Library Assistant:
2 Posts
Qualifications: M. Lib. with minimum of two years experience preferably in a Law University.
Salary-20,000/- pm

The application form duly filled in the prescribed form along with DD for Rs. 300/- in favour of Registrar, Chanakya National Law University payable at Patna must reach the office of the Registrar on or before the last date i.e. 18.1.2013 on the following address. “The Registrar, Chanakya National Law University, Nyaya Nagar, Mithapur, Patna-800 001”. Applications received after this date shall be rejected. Applications sent by Speed-Post or Registered Post only will be entertained. Applications received through emails will not be considered.
10. Applicants serving in Government/Semi-Government organizations/Public Sector, Undertakings/ Autonomous Bodies must send their applications Through Proper Channel. The applications received without proper recommendations of the employers will not be considered. However, an advance copy of application may be sent followed by the original application through proper channel.
Important note :
  1. Verification of documents from 10:00 AM on 21/01/2013
  2. Personal Interviews from 12:30 PM onwards on 21/01/2013
  3. Demonstration Classes from 09:30 AM onwards on 22/01/2013

REGISTRAR
    1. Click here to download Qualification and General Conditions for Appointment
    2. Click here to download Application Form for Teaching & Non Teaching Post
     http://www.cnlu.ac.in/index.php?option=com_content&view=article&id=109&Itemid=122

    Friday, December 7, 2012

    मदिरालय नहीं चाहिए पुस्तकालय

    जागरण प्रतिनिधि, भागलपुर : सोमवार को स्टेशन चौक पर अस्मिता थिएटर, नई दिल्ली द्वारा सफदर हाशिमी मुक्ता मंच द्वारा मदिरालय या पुस्तकालय नामक नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक व रंगकर्मी अरविंद गौड़ के इस नाटक को बड़ी खूबसूरती से कलाकारों ने लोगों के बीच परोसा। नाटक के माध्यम से कलाकारों ने इस बात की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया कि देश में खरगोश की रफ्तार से मदिरालय व कछुए की रफ्तार से पुस्तकालय खुल रहे हैं। यह सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश की स्थिति है। समाज को रोशनी दिखाने के लिए पुस्तकालय की स्थापना को लेकर सोचा भी नहीं जा रहा है। शराब के ठेके से हजारों घर बर्बाद हो रहे हैं। महिलाएं व बच्चे इसका सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं। रंगकर्मियों ने डफली बजाकर नाटक का आगाज किया। कलाकारों ने भ्रष्टाचार पर भी चोट किया। 'सरफरोसी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है कि जोर कितना बाजुए कातिल में है' गाकर भ्रष्टाचारियों को आगाह किया कि अब देश उन्हें बिल्कुल बर्दाश्त करने के पक्ष में नहीं है। उनके खिलाफ डटकर लड़ाई लड़ी जाएगी। नाटक के दौरान शिल्पी मारवाह, राहुल, पूनम रस्तोगी, ब्रजेश, गुंजन, नीतू, ओम सुधा व सिद्धार्थ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रंगकर्मियों का परिचय सोमनाथ आर्य ने कराया। इस मौके पर रंगकर्मी बासुकी पासवान व चंद्रेश भी मौजूद थे।

    http://www.jagran.com/bihar/bhagalpur-9886209.html

    Thursday, November 15, 2012

    बिहार के जेलों में खुलेंगे जिम, पुस्तकालय

    पटना : बिहार सरकार ने देश में अपने तरह का अनूठा प्रयास करते हुए राज्य के सभी जेलों में कैदियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए व्यायामशालाएं (जिम्नेजियम) और पुस्तकालय खोलने का निर्णय किया है।
    पूरी खबर के लिए देखें: http://zeenews.india.com/hindi/news/प्रदेश/बिहार-के-जेलों-में-खुलेंगे-जिम-पुस्तकालय/151478

    Online craze deals bodyblow to library culture



    PATNA: The old libraries of the state capital, like Sinha Library and Khuda Bakhsh Oriental Public Library, which once upon a time were among the pride of Patna, have been thumbed down by city youth. With the advent of e Notes, GradeSaver, Cliff Notes and Wikipedia, the cult of thronging libraries and browsing through piles of books has been shown back door by them, as now not books but Internet is considered the best friends by theseNet-savvy youngsters.
    Empty reading rooms and dusty tables and chairs are a common sight in most of the city libraries. It is sad to note that world-renowned Khuda Bakhsh Oriental Public Library, which has stood tall against time and tide since 1891 and is known for its rare collection of Persian and Arabic manuscripts around the globe, now attracts only a handful of readers.

    Tuesday, October 9, 2012

    Vacancy of University Librarian at Rajendra Agricultural University, Bihar, Pusa (Samastipur)


    Advt. No.03/2012/RAU, Pusa                      Dated 08/10/2012
    Cancellation of Advt. No 04/2009 and Issue of Fresh Advertisement for Filling up the Posts


    The advertisement bearing No 04/2009, dated 23.11.2009 is hereby cancelled due to creation of Bihar Agricultural University, Sabour (Bhagalpur) after bifurcation of Rajendra Agricultural University, Bihar, Pusa (Samastipur) Vide O. O. No. 6869 dt.07.12.2010. A fresh notification for filling up the following posts under jurisdiction of Rajendra Agricultural University, Bihar, Pusa (Samastipur) is hereby made.

    University Librarian : (One Post-Unreserved)
    Pay Scale – Rs. 37400-67000/- + AGP 10000/-
    Essential Qualification:
    (i) Masters' degree in Library Science/Information Science/documentation with at least 55% of the marks or its equivalent grade of B in the UGC seven point scale and consistently good academic record.
    (ii) At least thirteen years as a Deputy Librarian in a University Library or eighteen years’ experience as a College Librarian.
    (iii) Evidence of innovative library service and organization of published work.
    Desirable- M. Phil/Ph.D. degree in Library Science/Information Science/documentation/ archives/and manuscript keeping. 

    For More Information, Please visit: http://www.pusavarsity.org.in/Advt_No_03-2012.pdf

    Friday, August 3, 2012

    डीईओ, बिहारशरीफ ने किया हेलाल पुस्तकालय का निरीक्षण


    डीईओ ने किया हेलाल पुस्तकालय का निरीक्षण
    बिहारशरीफ, निज संवाददाता : पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु जिलाधिकारी के निर्देश पर गुरुवार को जिला शिक्षा पदाधिकारी देवशील एवं एसडीएम अमरेश कुमार अमर ने शहर के इमादपुर स्थित हेलाल लाइब्रेरी का निरीक्षण किया। पुस्तकालय की स्थिति, फर्नीचर, आलमीरा एवं पुस्तकों के रख-रखाव की सराहना की। पुस्तकालय स्कूल के भवन में चलाया जा रहा है। इसकी स्थापना 1936 ई. में की गयी थी। एसडीएम श्री अमर ने पुस्तकालय के सचिव मो.फवाद अली को आश्वस्त किया कि इसे समृद्ध करने के लिए हर संभव सहायता दी जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता परीक्षाओं से संबंधित पत्र पत्रिकाएं उपलब्ध कराई जायेगी। यह भी कहा कि मार्ग दर्शन के लिए यदि संचालन समिति चाहे तो मैं प्रत्येक शनिवार को अपना समय दूंगा। पुस्तकालय का अपना भवन की मांग पर इस दिशा में प्रयास करने का आश्वासन दिया। बता दें कि निजी पुस्तकालयों में शहर का यह सबसे सुसज्जित पुस्तकालय है। कम्प्यूटर आदि भी खरीदी गयी है। निरीक्षण के क्रम में अध्यक्ष शाजिद अनवर, एजाजुल हक, मो.जाहिद, मो.शमी आलम आदि उपस्थित थे। इसके बाद पदाधिकारियों ने विद्यालय परिसर में पौधरोपन किया।

    Monday, July 30, 2012

    पुस्तक संस्कृति महोत्सव : चर्चा के केन्द्र में नालंदा और यहां पुस्तकालयों का इतिहास


    वैचारिक प्रदूषण पर्यावरण के प्रदूषण से ज्यादा घातक
    बिहारशरीफ, निज संवाददाता : रविन्द्रनाथ टैगोर के 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित पुस्तक संस्कृति महोत्सव में वक्ताओं ने कहा कि वैचारिक प्रदूषण पर्यावरण के प्रदूषण से अधिक घातक है। पुस्तकालय और समाज विषय पर विचार सत्र में बिहार पुस्तकालय के पुस्तकाध्यक्ष धु्रव सिंह, बनारस के युवा सन्यासी ओमाद अंक, शांति निकेतन के प्रो.सुभाष राय समेत प्रो.श्रीकांत सिंह, डा.के.नारायण, जयनंदन शर्मा एवं सुनील कुमार हिस्सा लिये। चर्चा के केन्द्र में नालंदा और यहां पुस्तकालयों का इतिहास रहा। कार्यक्रम में समाज में पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। वक्ताओं ने यहां तक कहा कि प्राचीन नालंदा विवि के पुस्तकालय को जलाने वाले बख्तियार खिलजी को कहीं न कहीं हमारे पूर्वजों का सहयोग रहा होगा। यह वैचारिक दोष का नतीजा रहा होगा।
    चर्चा निर्माणाधीन यूनिवर्सिटी आफ नालंदा पर भी हुई। इसके स्वरूप तथा वीसी की नियुक्ति जैसे विवादित मुद्दों पर भी चर्चा से परहेज नहीं किया गया। अंतरराष्ट्रीय रंग कर्मी अरविन्द गौड़ ने कहा कि नालंदा के लोगों को जागरूक होना होगा तभी यहां की ज्ञान भूमि पर समृद्ध पुस्तकालय परंपरा वापस लौटेगी। श्री गौड़ ने पुस्तकालय एवं पुस्तक संस्कृति की पुर्नस्थापना में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर न्यास परिषद की भूमिका की सराहना की। उन्होने कहा कि इसी का देन है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नेशनल मिशन आफ लाइब्रेरी का गठन किया। यह आजादी के बाद पुस्तकालयों की रक्षा के लिए उठायी गयी सबसे बड़ा कदम है। श्री गौड़ द्वारा निर्देशित तथा पदम भूषण सुश्री मल्लिका साराभाई द्वारा रूपांतरित नाटक अनसुनी का मंचन भी इस कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा।
    स्थानीय टाउन हाल में आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन करते हुए न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार ने भी समाज तथा देश के विकास में पुस्तकों की महता पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम का आयोजन भीमराव अम्बेदकर विचार के तत्वावधान में किया गया। परिषद के अध्यक्ष अमित कुमार पासवान, मिथिलेश सिंह, वीरेन्द्र प्रसाद, सुनील प्रसाद आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मंच से घोषणा की गयी कि सरगणेश दत्त के गांव गोनावां-छतियाना में वहां के मुखिया के सहयोग से एक पुस्तकालय का निर्माण कराया जायेगा।

    न्याय को भटक रहा पुस्तकालय का रखवाला


    न्याय को भटक रहा पुस्तकालय का रखवाला
    बक्सर, निज संवाददाता : कई दशकों तक जिस ज्ञान के खजाने के बूते शहर का सरस्वती पुस्तकालय सूबे के सर्वश्रेष्ठ साहित्य संग्रह के लिए जाना जाता रहा। उसी ज्ञान के खजाने के प्रहरी रामपति प्रसाद आज न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
    वृद्ध रामपति प्रसाद बताते हैं कि वर्ष 1965 में उन्हें 45 रुपये प्रतिमाह वेतन पर पुस्तकालय की देखरेख की जिम्मेदारी मिली। जब पुस्तकालय की देखरेख करने वाली कमेटी ने इसे बंद किया तब उनका वेतन दो हजार प्रतिमाह था। जून-07 से उन्हें वेतन नहीं मिला। श्री प्रसाद का कहना है कि पुस्तकालय से उन्हें हटाने के लिए इसी साल छह मई को जबरन उनसे रजिस्टर छीन लिया गया और कर्मचारियों की उपस्थिति पत्रक को भी ले लिया गया। इसके खिलाफ श्री प्रसाद ने नगर थाना में प्राथमिकी के लिए आवेदन दिया। लेकिन, वृद्ध रामपति की आवाज नक्कारखाने की तूती बनकर रह गयी।

    Thursday, July 26, 2012

    नेहरू पुस्तकालय(जहानाबाद) बदहाली के कगार पर


    नेहरू पुस्तकालय बदहाली के कगार पर
    करपी (अरवल), निज प्रतिनिधि
    प्रखंड मुख्यालय स्थित एक मात्र पंडित नेहरू पुस्तकालय आज बदहाली के कगार पर है। करपी बस स्टैंड के कोने में स्थित इस पुस्तकालय पर न तो किसी जनप्रतिनिधियों की नजर जा रही है और न ही सरकार के किसी आलाधिकारी की। यहां के बुद्धिजीवियों ने भी इसे सरकार के भरोसे छोड़कर अपनी आंखे फेर ली है। नतीजतन हजारों रुपये मूल्य की पुस्तकें उपकरण बर्बादी के कगार पर है। भवन भी काफी जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। वर्षा होने पर पानी की बूंदे भी कमरे में टपकती है। जिसके कारण पुस्तकें नष्ट हो रही है तो कुछ चोरों की भेंट भी चढ़ गयी है। विदित हो कि इस पुस्तकालय की स्थापना 1974 मे की गयी थी। इसका उद्घाटन पंडित नेहरु के सहयोगी रहे जुहेरे साहब ने किया था। ग्रामीणों की सहयोग से इस पुस्तकालय भवन का निर्माण कराया गया था। पुस्तकालय की अपनी जमीन भी है। पुस्तकालय को विधिवत चलाने के लिए संचालन समिति का गठन भी उस समय किया गया था। पुस्तकालय सचिव रहे युगेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि स्थापना के बाद कई वर्षो तक सरकार से पुस्तकों की खरीद के लिए अनुदान भी मिलते थे। 1984 में जन संपर्क विभाग द्वारा एक बड़ा रेडियो सेट तथा माइक सेट भी पुस्तकालय को दिया गया था। लेकिन मरम्मत के अभाव में सभी बेकार हो गयी। ग्रामीणों ने बताया कि उस समय पुस्तकालय में काफी लोग आते थे तथा पठन पाठन का कार्य करते थे। रेडियो सुनने के लिए शाम को ग्रामीणों की काफी भीड़ एकत्रित हुआ करती थी। यहां का माहौल काफी गहमागहमी भरा होता था। क्योंकि उस समय सभी के पास रेडिया उपलब्ध नहीं होते थे लेकिन आज यहां वीरानगी छायी रहती है।

    Thursday, July 12, 2012

    25 Libraries That Changed the World


    Libraries — especially those open to the public — perfectly embody the idea that education and culture exist as a basic human right, not the exclusive domain of the privileged elite. As such, they certainly play an integral role in keeping the species moving forward (or, at least, in circles that sometimes move forward) and ensuring the survival of important slices of history, culture, philosophy, science, math, and, obviously, literature. Thanks to the following institutions, both the shape of libraries and the world completely changed in large and small ways alike.

    1. Royal Library of Ashurbanipal:

      Seeing as how it inspired Alexander the Great and Ptolemy to build the Library of Alexandria, it’s safe to declare the Royal Library of Ashurbanipal — once located in the Assyrian capital of Nineveh — a game-changing institution. It boasted nearly 31,000 texts before its 612 A.D. destruction, and gifted the modern world with The Epic of Gilgamesh and a treasure trove of Assyrian literary, historical, political, and philosophical texts no longer lost to time.
    2. Library of Alexandria:

      Probably one of most influential educational institutions of all times, this intellectual center of the Ptolemaic empire hosted works, symposiums, and studies by the likes of Hypatia, Euclid, Archimedes, Catherine of Alexandria, and more ancient thinkers and scientists still influential today. Before its hotly debated annihilation, the Library of Alexandria is theorized to have housed hundreds of thousands of volumes pertaining to literature, science, math, philosophy, history, civics, and other liberal arts topics.
    3. Library of Pergamum:

      Located in modern-day Turkey, the Library of Pergamum often receives accolades as the second most important institution of its type in antiquity. In fact, rumors persist that many of its hundreds of thousands of holdings may have wound up in the Library of Alexandria as a gift or bribe. But historical records leave no trace of its exact holdings; scholars do know it was important enough for explicit mention in the Book of Revelation, however.
    4. Villa of the Papyri:

      Lucius Calpurnius Piso Caesoninus’ private holdings in Herculaneum mostly burned in the 79 A.D. eruption of Mt. Vesuvius yielded one of the most comprehensive collections of Epicurean philosophy in archaeological history. In addition, it also introduced scholars to the previously unknown works of Philodemus, unlocking a completely brand new area of inquiry for Classics buffs and a broader understanding of Roman thought.
    5. Nalanda University Library:

      From roughly the fifth century A.D. until almost the 13th, the library at Nalanda University housed the world’s largest repository of Buddhist and Hindu religious texts, inspiring students as nearby as other towns in the Indian state of Bihar and as distant as Greece. Thanks to the monks who ran the show, it contributed to the spread of both the practice and the understanding of two still-major world religions.
    6. House of Wisdom:

      During the Islamic Golden Age, House of Wisdom in what is now Baghdad, Iraq, served as an epicenter of religious and scientific inquiry, and academics behind the Translation Movement, which converted Greek texts into Arabic, started up here. Caliph Harun al-Rashid launched the initiative, but it was his son al-Ma’mun who nurtured relationships with great thinkers in the arts, sciences, philosophies, and theologies and encouraged them to flock here and transform it into one of history’s most influential think tanks.
    7. Imperial Library of the Han Dynasty:

      Librarian, writer, and academic Liu Xiang often receives credit for establishing the very first searchable library catalog, a strategy obviously still very much in use today, while working in the Han Dynasty’s Imperial collection. He oversaw the preservation of important Confucian and historical texts threatened by political shifts to ensure their survival for future scholars to explore.
    8. Imperial Library of Constantinople:

      Thanks to the Crusades, the millennia of knowledge collected in the Imperial Library of Constantinople perished, but not before it could leave a major mark on antiquity’s greatest minds. Because many of the original Greek papyri began disintegrating over time, founder Constantius II decreed the staff to transfer them to a more permanent medium to ensure future generations of learners could pick up a few things from the past.
    9. Theological Library of Caesarea Maritima:

      Church Fathers Pamphilus of Caesarea and Origen almost single-handedly compiled what was at the time the largest collection of Christian theological works; estimates place the number well above the 30,000 range. It contained a scriptorium for text transfers and translations and even pioneered its own unique New Testament reading, known as the “Caesarean text-type.”
    10. Pitaka Taik:

      Pagan Empire progenitor Anawratha organized this Burmese Buddhist library after pillaging and conquering surrounding states — some stories say enough scripts to weigh down 30 elephants! As one of the only surviving libraries in South Asia today, it serves a double purpose educating architecture and art history buffs about the Gu style created to specifically protect delicate texts penned on palm leaves.
    11. Central Library of Astan Quds Razavi:

      Since 1457, the one million volumes owned by the Central Library of Astan Quds Razavi headquartered in Mashad have provided deep insight into Islamic thought, history, math, and science. Over time, its collection of rare and ancient manuscripts has spread to 35 different locations all categorized under one heading, spread mostly over Iran, but also stretching as far as India.
    12. Biblioteca Malatestiana:

      Europe’s very first public library opened in Cesena, Italy, in the mid-15th century, inviting anyone wishing to peruse its wares and enjoy the stunning architecture; the citizenry did, after all, collectively own the extensive compilation of Greek and Roman texts and codices. Although the Islamic Golden Age likely launched the very idea of a public library, Biblioteca Malatestiana finally brought the concept to the “Western” world, which eventually spread thanks to the continent’s lust for colonialism.
    13. Vatican Library:

      Seeing as how Catholicism stands as one of the most influential political and religious forces in the world, it makes perfect sense that its holdings boast some rare, essential historical and philosophical texts in multiple ancient and modern languages, from multiple regions and eras. These include, of course, official papal documents and decrees. Since around 1475, it has grown to encompass multiple media and even offers up library science courses, and continues to attract scholars across disciplinary lines.
    14. Tian Yi Ge:

      During the Qing Dynasty, Emperor Qianlong paid a visit to this beloved Zhejiang Province institution and almost immediately used it as a template for a string of imperial libraries. It actually popped into being during the Ming Dynasty and continues on as China’s oldest operating library, though its collection has deteriorated over time due to theft and war-time pillaging by the British.
    15. Biblioteca Palafoxiana:

      Mexican culture changed forever when Spanish imperialists organized the nascent nation’s very first public library in Puebla, which provided conquered, exploited indigenous peoples with all the religious texts they need to become good little slaves … for free! Historians debate over whether or not Biblioteca Palafoxiana can be considered the very first public library on the North American continent.
    16. Bibliotheque nationale de France:

      A plethora of French monarchs oversaw the establishment of the National Library of France, but it particularly stood out as a symbol of the bloody revolution. After being opened to the public for roughly 100 years, freedom fighters bolstered the collection with the spoils of slaughtered elites and encouraged the populace to seize knowledge and think for themselves.
    17. Library of Congress:

      Library of Congress serves as America’s preeminent research library and one of its most integral archives preserving national (and, to some extent, even world) history. All of the country’s copyrights (for books or otherwise) pass through here, and its filing system provides the framework for the majority of university and research libraries today; like many national institutions, it circulates a copy of every significant literary work published in the dominant language.
    18. National Library of Poland:

      Nazi occupation saw Poland’s intellectual gem set ablaze, with hundreds of thousands of priceless books, paintings, musical compositions, and other cultural hallmarks destroyed in the name of hate. Since the end of World War II, however, it has rebuilt itself into the nation’s largest literary archive, offering up a symbol of hope, healing, and renewal for the ravaged Polish peoples.
    19. Smithsonian Institution Libraries:

      As the official libraries serving one of the world’s largest, most prestigious research complexes, it makes perfect sense that the 20 facilities that comprise the whole stands as an incredibly influential, game-changing place. Thanks to its numerous digital holdings, anyone with an Internet connection can browse and learn a little something about most academic fields.
    20. New York Public Library:

      America’s second largest public library (and largest public library system) has received enough grants from the likes of Andrew Carnegie over the years, it simultaneously takes on a museum role; how many others of its ilk can boast ownership of a Gutenberg Bible? Since its 1895 inception, all branches, no matter their focus, have strived to reach out to local communities and promote history (particularly of largely marginalized demographics), science, art, literature, and plenty more.
    21. Warburg Institute Library:

      Like the National Library of Poland, the Warburg Institute Library, which now calls University of London home, struggled mightily to preserve intellectualism and creativity in peril because of fascism, this time within Germany’s borders. Founder Aby Warburg intended for it to promote art history, anthropology, and other global cultural hallmarks, but partner and director Fritz Saxl had to quickly smuggle the entire collection out in 1933 lest it fall forever to Nazi suppression.
    22. British Library:

      With more than 150 million holdings (14 million of these being books), this prestigious research library — along with the Library of Congress — exists as the biggest in the world; almost more of a museum than anything. As such, it provides a safe home to rare manuscripts, books, and other cultural items and allows locals and visitors alike to explore the world’s myriad curiosities.
    23. Room to Read:

      Founded in 2000, Room to Read involves libraries of more than one single institution, but still holds quite the influence over the populace. The nonprofit builds libraries in African and Asian communities with few resources and finances, ensuring equal educational opportunities in corners of the globe ravaged by poverty, war, exploitation, and other human rights horrors.
    24. Internet Archive:

      Internet Archive sports an entirely different library structure than the others listed here, but still receives recognition by the American Library Association as a valuable institution. Like its name gives away, the Internet Archive is an Internet archive of completely free media — not just books — meant to educate anyone who simply wants to learn more; it has courted controversy due to its open source nature and occasional run-ins with exploitation, however.
    25. Joe and Rika Mansueto Library:

      University of Chicago boasts the very first almost fully automated library, which stands poised to revolutionize the industry and completely change the role of library science professionals over time. At the Joe and Rika Mansueto Library, users input the materials they need, and a robotic arm delves deep into underground archives to retrieve it — no getting lost in the stacks or commandeering a student assistant for help. Considering the massive expense involved, though, chances are this arrangement will take a while to dominate.

    Monday, July 9, 2012

    मदिरालय की बजाए खुलेंगे पुस्तकालय : सूचना परिवहन मंत्री


    मदिरालय की बजाए खुलेंगे पुस्तकालय : मंत्री
    हाजीपुर, जागरण संवाददाता
    सूबे के सूचना परिवहन मंत्री वृशिण पटेल ने यहां कहा है कि वर्तमान समय में लोगों में पढ़ने की प्रवृति खत्म हो रही है। आज के युवा भी पढ़ाई में मेहनत करने के बजाये सफलता का शार्टकट रास्ता इस्तेमाल करते हैं। सरकार की चाहत है कि जगह-जगह मदिरालय नहीं पुस्तकालय खुले।
    ये बातें उन्होंने यहां हाजीपुर में एक कार्यक्रम के दौरान कही। सृष्टि बाल युवा एवं महिला उत्थान मंडल व शिवजी राय मेमोरियल लाइब्रेरी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित पांच दिवसीय बाबू जगजीवन राम स्मृति पुस्तक संस्कृति उत्सव का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार दिल से चाहती है कि राज्य में जगह-जगह मदिरालय नहीं पुस्तकालय हो। थोक भाव में स्कूल खोलकर सरकार सबूत भी दे चुकी है। लेकिन शराब दुकानों के बंद कर देने या अनुज्ञप्ति नहीं देने से शराबखोरी की प्रवृति पर अंकुश लगना नामुमकिन है। उन्होंने कहा कि शराब दुकान बंद हुए तो पान दुकानों, परचून और किराना दुकानों में असली नहीं नकली शराब बिकने लगेगी। शराब जैसी जहर पीकर जो लोग पचास वर्ष बाद मरते हैं वे तत्काल मरने लग जाऐंगे। अपने पैतृक गांव का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि लोगों ने सामूहिक प्रयास से गांव में खोले गए लाईसेंसी शराब दुकानों को बंद कराया उसके अगले ही दिन से पान, परचून और किराना दुकानों में शराब बिकने लग गई। शराब बिक्री के खिलाफ लोगों को सामूहिक रूप से न केवल संकल्प लेने पडे बल्कि गांव के लोगों ने दृढ़ इच्छा शक्ति का भी परिचय दिया। उन्होंने कहा कि सामूहिक रुप से ऐसी ही पहल की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को राजस्व की चिंता नहीं है डर इस बात की है कि पाबंदी की स्थिति में नशे के लिए और कोई जानलेवा तौर-तरीकों का इस्तेमाल न शुरु कर दिया जाए। बाबू जगजीवन राम की पुण्यतिथि के अवसर पर पुस्तक संस्कृति उत्सव का आयोजन किए जाने पर आयोजक को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि आज के समय में पुस्तकालय खोलने जैसा पुनीत कार्य करना वास्तव में साहस का काम है। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में पुस्तक पढ़ने की प्रवृति खत्म हो रही है। पढ़े-लिखे आम लोगों की बात दूर रही विद्यार्थी भी पुस्तक से विमुख हो रहे हैं। सफलता के लिए शार्टकट का इस्तेमाल किया जा रहा है। किताब के पन्ने पलटने के बजाये कम्प्यूटर पर वेव पेज खोलने का प्रचलन बढ़ा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में कम्प्यूटर चाहे कितना भी महत्वपूर्ण क्यों न हो वह पुस्तकों की बराबरी नहीं कर सकता। माना कि इस मशीनी बक्से में जानकारियों का खाजाना है लेकिन वह लोगों को मानसिक रुप से बीमार बना रही है इसे कतई नही भूलना चाहिए। बाबू जगजीवन राम के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि आज के राजनीतिज्ञों को उनसे प्रेरणा लेने की जरुरत है।

    Wednesday, June 27, 2012

    शहीद पुस्तकालय को उद्धारक की तलाश


    शहीद पुस्तकालय को उद्धारक की तलाश
    बेनीपंट्टी (मधुबनी), निप्र : बेनीपंट्टी बाजार स्थित पोस्ट ऑफिस के निकट शहीद पुस्तकालय को अतिक्रमण से मुक्त कराने में प्रशासन विफल है। सिर्फ नाम का यह पुस्तकालय दो दशक से उद्धारक की तलाश कर रहा है। इस संबंध में एसडीओ राशिद कलीम अंसारी ने बताया कि शीघ्र ही शहीद पुस्तकालय को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा। इसके लिए कवायद शुरू कर दी गई हैं।
    मालूम हो कि सांसद भोगेन्द्र झा ने वर्ष 1991 में शहीद पुस्तकालय के भवन के निर्माण के लिए दो लाख 40 हजार रुपये राशि दी थी। शहीद पुस्तकालय के भवन शुरू हुआ लेकिन सरकारी बदइंतजामी के करण पुस्तकालय के भवन अधूरा ही रहा। दो दशक से पुस्तकालय अपने जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है परन्तु सरकार व प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रही है। एक ओर जहां पुस्तकालय भवन की जमीन को अतिक्रमण कर रास्ते को बंद कर दिया गया है वहीं दूसरी ओर काम के लिए बल्कि नाम के लिए बना यह पुस्तकालय अपन वजूद खोता जा रहा है। पुस्तकालय का भवन आवारा पशुओं का अड्डा बन गया है। परिसर में गंदगी व कूड़ा-कर्कट फेंका जा रहा है।