ओजस्कर पाण्डेय, चंडीगढ़
राइट टू एजुकेशन अधिनियम के तहत व सीबीएसइ के सर्कुलर के अनुसार सभी स्कूलों में विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का विकास के लिए एक समृद्ध पुस्तकाल होना जरूरी है, लेकिन चंडीगढ़ के कई सरकारी स्कूलों में समृद्ध पुस्तकालय नहीं है। इसके साथ ही स्कूलों में अन्य विषयों की पढ़ाई के साथ पुस्तकालय में भी जाने का समय तय किया जाना भी जरूरी है, लेकिन चंडीगढ़ में कई सरकारी स्कूलों में या तो पुस्तकालय नहीं है और यदि हैं भी तो वहां पुस्तकालय लाइब्रेरियन नहीं है। जिस कारण विद्यार्थी पुस्तकालयों से लाभ लेने में वंचित हो रहे हैं।
जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ प्रशासन के अंदर चलने वाले 15 सरकारी स्कूलों में लाइब्रेरियन का पद तो है, लेकिन यहां लाइब्रेरियन नहीं हैं। कई सरकारी स्कूल जैसे जीएचएस डड्डूमाजरा के स्कूल में जहां करीब दो हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं यहां पुस्तकालय स्कूल के बरामदे में चलाया जा रहा है। पेपर स्टेंड में बच्चे को खड़े होने की जगह नहीं मिलती है। लाइब्रेरियन की जगह स्कूल के किसी शिक्षक द्वारा काम चलाया जा रहा है। इसी तरह जीएसएसएस मलोया में जहां 2500 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं यहां लाइब्रेरियन का पद काफी दिनों से खाली पड़ा हुआ है। पुस्तकों की संख्या भी अधिक नहीं है।
धनास के सरकारी स्कूल में अन्य सरकारी स्कूलों की अपेक्षा पुस्तकों की संख्या अधिक है, लेकिन यहां भी लाइब्रेरियन नहीं है। सरकारी स्कूल विकास नगर मौलीजागरा में भी कमोबेश यही स्थिति है। यहां पुस्तकालय एक कमरे में किसी तरह चलाया जा रहा है। यहां न तो समीचीन पुस्तकें है और न ही इसकी कोई अन्य व्यवस्था ही है। यहां लाइब्रेरियन का पद तो है लेकिन लाइब्रेरियन नहीं है। विद्यार्थियों को जब तक नई पुस्तकें पढ़ने को नहीं मिलेगी वे अपने को कैसे अपडेट रखेंगे। सरकारी स्कूल सेक्टर-12 में भी लाइब्रेरियन का पद नहीं है यहां पुस्तकालय शिक्षकों द्वारा चलाया जा रहा है।
इस संबंध में गवर्नमेंट टीचर यूनियन के अध्यक्ष डा. विनोद शर्मा कहना था कि कई स्कूलों में लाइब्रेरियन का पद ही नहीं है ऐसे में यदि स्कूल व्यवस्था किसी अन्य शिक्षकों द्वारा पुस्तकालय चलाए तो वह कैसे दो विभाग के साथ न्याय करेगा। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा जल्द ही डीपीआई के समक्ष उठाया जाएगा।
इस संबंध में जब डीपीआई उपकार सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जल्द ही स्कूलों में लाइब्रेरियन के खाली पद भरे जाएंगे। उन्होंने कहा कि जिन पुस्तकालयों में पुस्तकों की कमी है वहां के लिए नई पुस्तकें खरीदी जाएंगी।
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