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Monday, July 2, 2012

एम लिब. तो कर लिया, शोध कहां से करें

हरिद्वार। प्रदेश के युवाओं को लाइब्रेरी साइंस में शोध करने के लिए भटकना पड़ रहा है। उत्तराखंड में छह विश्वविद्यालय होने के बावजूद किसी में भी शोध (पीएचडी) की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जिससे बी.लिब और एम लिब. करके आगे बढ़ने वाले युवाओं के कदम ठहर गए हैं।
पुस्तकों, ग्रंथो, पांडुलिपियों और अभिलेखों के रखरखाव के लिए पुस्तकालय विज्ञान बहुत अहमियत रखता है। इसके लिए बाकायदा कई विश्वविद्यालयों की ओर से डिग्री कोर्स चलाए जाते हैं। स्नातक स्तर पर बी. लिब और इसके बाद पीजी लेवल पर एम. लिब की डिग्री दी जाती है। इसके बाद इस विषय में शोध करने वाले छात्रों के लिए प्रदेश में कोई सुविधा नहीं। हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर, कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल, गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार, देव संस्कृति विवि हरिद्वार, मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी और टेकिभनकल युनिवर्सिटी देहरादून आदि छह विश्वविद्यालय हैं। इनमें से कई में बी. लिब और कुछ में एम. लिब कराई जा रही है। लेकिन ये कोर्स कराने वाले विश्वविद्यालय इससे आगे नहीं बढ़ सके।
छात्र पुस्तकालय विज्ञान में कैरियर बनाने के लिए बी. लिब और फिर मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए एम. लिब का कोर्स कर लेते हैं, लेकिन इसके लिए प्रदेश में सुविधा नहीं होने की वजह से पीएचडी के लिए संकट खड़ा हो जाता है। लाइब्रेरी साइंस में शोध शुरू कराने के लिए विश्वविद्यालयों के कुलपतियाें से मांग की जा रही है।
-नवीन पंत उपाध्यक्ष एबीवीपी एवं पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय।

अभी हमारे विश्वविद्यालय में बी. लिब का कोर्स कराया जा रहा है। आगामी वर्षो में एम लिब शुरू कराने के लिए जोर शोर से कोशिश जारी है। उसके बाद प्रदेश के छात्रों को पुस्तकालय विज्ञान में पीएचडी के लिए उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में सुविधा दिए जाने का पूरा प्रयास रहेगा।
- सुधारानी पांडे, कुलपति उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार।

Monday, May 28, 2012

पुस्तकालय व प्रयोगशाला की भूमिका अहम


पिथौरागढ़, जागरण कार्यालय : जिला शिक्षाधिकारी मुकुल सती ने विद्यालयों में शैक्षिक स्तर सुधारने के लिए पुस्तकालयों और विज्ञान प्रयोगशालाओंका अधिकाधिक उपयोग करने पर जोर दिया है। वह रविवार को प्रधानाचार्यो के पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर बोल रहे थे।
विकास खंड मूनाकोट में आयोजित प्रशिक्षण में प्रधानाचार्यो को शैक्षिक नियोजन, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान का परिचय, विद्यालय विकास योजना, सतत एवं व्यापक मूल्यांकन, विज्ञान एवं गणित प्रयोगशाला, पुस्तकालय स्थापना आदि विषयों पर विस्तार से जानकारी दी गई। विषयों पर समूहवार चर्चाएं कराई गई और शैक्षिक स्तर सुधारने के लिए नवाचार की आवश्यकता पर बल दिया गया।
समापन अवसर पर जिला शिक्षाधिकारी सती ने प्रधानाचार्यो से कहा वह विद्यालयों में शैक्षिक स्तर को सुधारने के लिए पुस्तकालयों की स्थापना एवं विज्ञान प्रयोगशालाओं का अधिकाधिक उपयोग करने पर जोर दिया। उन्होंने प्रधानाचार्यो को बालनिधि एवं छात्रवृत्तियों से संबंधित जानकारी दी। प्रशिक्षण में प्रसार प्रशिक्षण केन्द्र के प्रभारी जेसी पंत ने सूचना अधिकार अधिनियम की जानकारी प्रदान की। प्रशिक्षण में विकास खंड विण के 22 तथा मूनाकोट के 23 प्रधानाचार्यो ने प्रतिभाग किया। प्रशिक्षण में कुल 20 सत्र आयोजित किए गए। सत्रों का संचालन संदर्भदाता प्रकाश चन्द्र पंत और राजेन्द्र सिंह बड़वाल ने किया। समापन अवसर पर खंड विकास अधिकारी एचआर कोहली, डा.हरीश बोहरा, डा.सीएस जोशी, बसंती मर्तोलिया, टीसी भट्ट सहित तमाम लोग मौजूद थे। संचालन ब्लाक समन्वयक हरीश पांडेय ने किया।

College Librarian-1, Assistant Librarian-1 and Cataloguing Clerk-1 at BIPIN CHANDRA TRIPATHI KUMAON ENGINEERING COLLEGE, Dwarahat (UTTARAKHAND)